मानसून से संबंधित बीमारियां और उनके बचाव के उपाय

TABLE OF CONTENTS
- मानसून और स्वास्थ्य चुनौतियां
- मानसून में बीमारियों के कारण
- प्रमुख मानसून संबंधित बीमारियां
- मानसून में स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय
- मच्छर जनित रोगों से बचाव
- त्वचा संक्रमण से बचाव
- व्यायाम के दौरान सावधानियां
- वायरल संक्रमण से रिकवरी के बाद ध्यान रखने योग्य बातें
- बच्चों के लिए विशेष सावधानियां
- निष्कर्ष
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
डॉ. सुशीला कटारिया मेदांता मेडिसिटी में मेडिसिन विभाग की हेड और डायरेक्टर हैं। इस वीडियो में वे मानसून से संबंधित बीमारियों और उनके बचाव के उपायों पर चर्चा करती हैं।
मानसून और स्वास्थ्य चुनौतियां
मानसून का मतलब है झमाझम बारिश। डॉ. कटारिया बताती हैं कि इस बारिश के दिनों में आम लोगों के लिए मानसून का मतलब हो सकता है एक गरम-गरम चाय का प्याला और पकौड़े, पर डॉक्टरों के लिए यह मौसम बीमारियों से भरा होता है। किसी भी हॉस्पिटल में इस दौरान मरीजों की संख्या बढ़ जाती है और मेडिसिन विभाग विशेष रूप से व्यस्त हो जाता है।
डॉ. कटारिया के अनुसार, पिछले तीन सप्ताह में (दिल्ली में मानसून के आगमन के बाद से) बुखार से संबंधित बीमारियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
मानसून में बीमारियों के कारण
डॉ. कटारिया ने इस खूबसूरत मौसम में बीमारियों की बढ़ोतरी के कई कारण बताए हैं:
तापमान और आर्द्रता: इस समय तापमान और आर्द्रता दोनों अधिक होते हैं। जहां नमी होती है, वहां बैक्टीरिया और फंगी तेजी से पनपते हैं। 32-40 डिग्री सेल्सियस का तापमान वायरस, बैक्टीरिया और फंगी के विकास के लिए अनुकूल होता है।
अपर्याप्त जल निकासी: बारिश के बाद जगह-जगह पानी जमा हो जाता है, जिसमें मच्छर के लार्वा पनपते हैं। ये मच्छर फिर बीमारियां फैलाते हैं।
पसीने से फंगल संक्रमण: अधिक पसीने की वजह से त्वचा में फंगल संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।
कीड़े-मकोड़ोंकीवृद्धि: बड़ी-बड़ी घास में चिग्गर, टिक्स जैसे कीड़े बढ़ जाते हैं।
प्रमुख मानसून संबंधित बीमारियां
ट्रॉपिकल फीवर
डॉ. कटारिया बताती हैं कि इस मौसम में होने वाले बुखारों को “ट्रॉपिकल फीवर” कहा जाता है, जिनमें शामिल हैं:
टाइफाइड
हेपेटाइटिस
लेप्टोस्पायरोसिस
स्क्रब टाइफस
रिकेट्सिया
इन सभी बीमारियों के शुरुआती लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं:
बुखार
मांसपेशियों में दर्द
सिर में दर्द
वेक्टर बोर्न डिजीज़
डेंगू
डॉ. कटारिया के अनुसार, डेंगू मच्छर से होने वाली वायरस की बीमारी है। इसके लक्षण हैं:
तेज बुखार
शरीर, मांसपेशियों और जोड़ों में तीव्र दर्द (इसीलिए इसे “हड्डी तोड़” या “बोन ब्रेकिंग फीवर” भी कहा जाता है)
बुखार लगभग 5 दिन तक रहता है
प्लेटलेट्स की संख्या में कमी
8-9 दिन में रिकवरी
महत्वपूर्ण जानकारी:
डॉ. कटारिया स्पष्ट करती हैं कि प्लेटलेट्स की कमी का बीमारी की गंभीरता से कोई सीधा संबंध नहीं होता
प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता नहीं होती
बिना उबला हुआ दूध (बकरी या गाय का) नहीं पीना चाहिए
सिर्फ पैरासिटामोल लेना चाहिए; आइबुप्रोफेन, डायक्लोफेनाक, निमेसुलाइड जैसी दवाइयां नहीं लेनी चाहिए
चिकनगुनिया
डॉ. कटारिया बताती हैं कि यह भी मच्छर से होने वाली वायरस की बीमारी है, जिसमें:
जोड़ों का दर्द असामान्य रूप से तीव्र होता है
मरीज चल फिर नहीं पाता
बुखार जल्दी उतर जाता है
प्लेटलेट्स की गिरावट इतनी अधिक नहीं होती
जटिलताओं का खतरा कम होता है
जोड़ों का दर्द कई महीनों तक बना रह सकता है
मानसून में स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय
खाद्य और जल जनित रोगों से बचाव
डॉ. कटारिया निम्न उपाय सुझाती हैं:
हाथों की स्वच्छता: खाना पकाने से पहले, खाने से पहले और शौचालय जाने के बाद हाथ धोना आवश्यक है।
खाद्य सुरक्षा:
केवल अच्छी तरह से पका हुआ खाना खाएं
सलाद और सब्जी को अच्छे से धोएँ
जरूरत के अनुसार ही खाना बनाएं
खाना फ्रिज में रखें और बार-बार बाहर न निकालें
बाहर की चटनियां, कटे हुए प्याज, कटी हुई सलाद और जूस से पूरी तरह परहेज करें
मच्छर जनित रोगों से बचाव
डॉ. कटारिया निम्न सावधानियां बरतने की सलाह देती हैं:
पहनावा:
पूरे बाजू के कपड़े और पूरा पजामा पहनें
ढीले सूती कपड़े, हल्के रंग के कपड़े पहनें
मच्छरदानी का उपयोग करें
जल निकासी और पर्यावरण:
आसपास के क्षेत्र को साफ रखें
छत पर पानी जमा न होने दें
गमलों का पानी नियमित रूप से बदलें
नारियल के खोल, चाय/आइसक्रीम के कप आदि में पानी जमा न होने दें
त्वचा संक्रमण से बचाव
डॉ. कटारिया के अनुसार:
शरीर को सूखा रखें
सूती कपड़े पहनें
सिंथेटिककपड़ेनपहनें
व्यायाम के दौरान सावधानियां
डॉ. कटारिया निम्न सुझाव देती हैं:
उचित पहनावा: पूरे बाजू के कपड़े और पूरा पजामा पहनें
पानीपीना: भरपूर पानी पीना चाहिए क्योंकि पसीने से डिहाइड्रेशन हो सकता है
वायरल संक्रमण से रिकवरी के बाद ध्यान रखने योग्य बातें
डॉ. कटारिया रिकवरी के दौरान निम्न बातों का ध्यान रखने की सलाह देती हैं:
व्यायाम: तुरंत अत्यधिक शारीरिक गतिविधि न करें, धीरे-धीरे गतिविधियों को बढ़ाएं
आहार: मध्यम मात्रा में स्वादिष्ट भोजन लें, अति न करें
धीरे-धीरेरिकवरी: पूर्ण स्वस्थ होने में 1-2 सप्ताह का समय दें
बच्चों के लिए विशेष सावधानियां
डॉ. कटारिया बच्चों के लिए निम्न सावधानियां सुझाती हैं:
हाथों की स्वच्छता: सही तरीके से हाथ धोना सिखाएं (दोनों हाथों को आपस में रगड़ें)
नाखून काटना: हर रविवार को बच्चों के नाखून काटें क्योंकि नाखूनों में हजारों बैक्टीरिया पनप सकते हैं
पेयजल: पानी की कमी न होने दें, नींबू पानी, छाछ, नारियल पानी घर से ही भेजें
उचितपहनावा: स्कूल जाते समय पूरे पजामे और पूरे बाजू की शर्ट पहनें
निष्कर्ष
डॉ. कटारिया बताती हैं कि मानसून सुंदर मौसम है, लेकिन बीमारियों से भरा भी हो सकता है। थोड़ी सी सावधानियां बरतकर लोग इन बीमारियों से बच सकते हैं और इस मौसम का आनंद उठा सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
क्या मानसून में पकौड़े खा सकते हैं?
डॉ. कटारिया का कहना है कि खा सकते हैं। उनके अनुसार, खाने का अमृत और जहर के बीच का जो अंतर है वह सिर्फ मात्रा का है। जो चीज कम मात्रा में अमृत हो सकती है, वही ज्यादा मात्रा में जहर का काम भी कर सकती है। 15 दिनों में एक बार खाने से कोई हानि नहीं है, लेकिन खाने के साथ-साथ व्यायाम का भी ध्यान रखना चाहिए।
डेंगू और चिकनगुनिया में क्या फर्क होता है?
दोनों मच्छर से होने वाली वायरस की बीमारियां हैं। डेंगू में हाई ग्रेड फीवर, शरीर में दर्द और प्लेटलेट्स गिरना प्रमुख लक्षण हैं, जबकि चिकनगुनिया में जोड़ों का दर्द बहुत ज्यादा होता है जो कई महीनों तक रह सकता है।
डेंगू बुखार में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
बुखार में सिर्फ पैरासिटामोल लेना चाहिए, आइबुप्रोफेन, डायक्लोफेनाक जैसी दवाइयां नहीं लेनी चाहिए। बिना उबला हुआ दूध नहीं पीना चाहिए।
क्या बच्चे बारिश के पानी में नहा सकते हैं?
बारिश के पानी में नहाने से कोई नुकसान नहीं है। आसमान से बरसने वाला पानी साफ होता है। बहुत कम स्थितियां होती हैं जिसमें पानी ऊपर से बरसते हुए प्रदूषित हो सकता है, जैसे फैक्ट्रियों के पास जहां सल्फर गैस निकलती है। नहाने के बाद अच्छे से सूखा लें और कॉटन के सूखे कपड़े पहनें।
मानसूनमेंपेट के संक्रमण सेबचनेकेलिएक्याकरें?
ताजा खाना खाएं, बिना पका खाना न खाएं, हल्का खाएं क्योंकि इस मौसम में पाचन क्षमता उतनी मजबूत नहीं होती। पुरी, कचौरी, समोसे आदि कम खाएं। हाथों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें और नाखून काटे रखें।
This blog has been converted from the Youtube video- Monsoon Illness & Its Prevention Tips